Khwaahishein( ख्वाइशें)

मुझे आदत हो गई है तेरी बातों की,

तूने ही उड़ा रखी है नींद मेरी रातों की,

जब भी किसी गैर को तुझे छूते देखता हूं,

मुझे खुद नहीं पता मैं अपने आप को कैसे रोकता हूं !

तू ख्वाबों में मेरे आती है,

पर मुझे पता है तू किसी और को चाहती है !

मैं तुझे जी भर के गले लगाना चाहता हूं,

मैं तेरे अलावा किसी और को नहीं देखूंगा,

ये कसम मैं रोज खाता हूं,

मैं तेरी पलकों की छांव में चैन से सोना चाहता हूं,

मैं तेरी खुशी में खुश और तेरे दुख में तेरे साथ रोना चाहता हूं,

मैं अपनी पूरी जिंदगी तेरे साथ बिताना चाहता हूं,

मुझे तुझसे कुछ और नहीं चाहिए,

बस इस सब के लिए तेरी इज़ाजत चाहता हूं !

तू हां जो कर दे मुझे,

मैं पूरी जिंदगी खुश रखूंगा तुझे,

ना कोई पाबंदी होगी ,ना बंदगी होगी,

बस तेरी और मेरी प्यार भरी जिंदगी होगी !

तेरी ख्वाहिशें कभी अधूरी ना रहने दूंगा,

तेरे सारे दर्द और दुख अपने सर ले लूंगा,

बस कुछ ख्वाहिशें थी ये मेरी,

जिन्हें मैं तुझे बताना चाहता था,

मैं अपनी पूरी जिंदगी तेरे साथ बिताना चाहता था !

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